श्री एम ने कहा -
अधिकतर ऐसा होता है कि अंत में हम अपने मन में बनी छवि या अपेक्षाओं के परिणामस्वरूपू ही निष्कर्ष निकाल लेते हैं। वास्तविक स्वरूप प्रकट होने पर उसकी पहचान ही नहीं हो पाती। यही वजह है कि मन में उपजी हर छवि व प्रत्याशा को हटाने से ही, सत्य को पाया जा सकता है।
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