Tuesday, March 5, 2019

पाप_और_शुभ_ग्रह_कैसे_सफलता_देते_है

#पाप_और_शुभ_ग्रह_कैसे_सफलता_देते_है?                             
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नैसर्गिक रूप से चार श्रेणी के ग्रह होते है शुभ ग्रह, पाप ग्रह, क्रूर ग्रह और सौम्य ग्रह जिसमे बृहस्पति शुक्र बुध यह तीनो शुभ ग्रह है, चन्द्र सोम्य ग्रह है, मंगल सूर्य क्रूर ग्रह है तो शनि राहु केतु पाप ग्रह है।नवग्रहों में से हर ग्रह कामयाब बना सकता है लेकिन नवग्रहों में हर एक ग्रह का रास्ता कामयाबी का अलग है।शुभ ग्रहो के द्वारा जो कामयाबी और सफलता मिलती है वह आसान होती है उसमे ज्यादा मेहनत और संघर्ष नही करना पड़ता साथ ही शुभ ग्रहो के कार्य छेत्र की रूप रेखा भी साधारण होती है लेकिन पाप ग्रह जैसे शनि राहु केतु यह गैर कानूनी कामो में सफलता देते है या उन कामो को करवाते है जो समाज की नजर में निंदनीय हो जैसे ख़राब की शॉप, चरस गांजा आदि इस तरह के काम यह जब ही कराते है जब कम से कम दो पाप ग्रह शुभ स्थिति में हो तब ही इन गैर कानूनी कामो में यह ग्रह सफलता देते है।सूर्य इंसान से ऐसे काम करवाता है या ऐसे कामो में सफलता देता है जो किसी न किसी रूप से शासन से जुड़े होते है, अब शासन से जुड़े कामो में काम की स्थिति क्या होगी यह सूर्य की स्थिति पर निर्भर करेगा।मंगल यह बहुत बलशाली ग्रह है शुभ होने पर हर तरह से सफलता देता है शनि से युति में हुआ तो नीच स्तर के और यदि सूर्य गुरु बुध शुक्र चन्द्र से युक्त हुआ तब उच्च स्तर के अच्छे रोजगार या प्रशासनिक कामो में सफलता देगा।जीवन में उचाईयो पर जाने के लिए 10वें भाव और9वें का अनुकूल और बली होना भी जरूरी होता साथ ही दसवे भाव से इन ग्रहो का सम्बन्ध होना जरूरी है तब ही अपने विषय से सम्बंधित कारक छेत्र में यह सफलता की ओर ले जाते है।अशुभ होने पर केवल असफलता देते है।इस तरह से हर एक ग्रह अपने स्तर से सफलता देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।📚🖊🙏🙌
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