7 ऐसे स्थान हैं जहां सुनते हैं हनुमानजी भक्तों की मन की बात,
देश में 7 ऐसे स्थान जहां हनुमानजी सुनते हैं मन की बात, 7 चमत्कारी तीर्थों में पूरी होंगी 7 मनोकामनाये
रामभक्त हनुमान के देश भर में कई मंदिर हैं। ऐसी मान्यता है कि अगर आप इन हनुमान तीर्थ स्थलों पर भगवान श्रीराम का नाम लेकर कोई भी वरदान मांगेंगे तो वह अवश्य पूरी होगी। सबसे पहले आपको ले चलते हैं अयोध्या नगरी। यहां भगवान श्रीराम ने, हनुमान जी को अयोध्या का राजा बनाया था।
1- अयोध्या के राजा कैसे बने हनुमान?
वैसे तो आपने हनुमान जी को श्रीराम के सेवक के रुप में ही देखा है, लेकिन यहां की हनुमान गढ़ी के राजा हैं हनुमान जी। कहते हैं कि लंका विजय के बाद हनुमानजी पुष्पक विमान में श्रीराम सीता और लक्ष्मण जी के साथ यहां आए थे। तभी से वो हनुमानगढ़ी में विराजमान हो गये। कहते हैं कि जब भगवान राम परमधाम जाने लगे तो उन्होंने अयोध्या का राज-काज हनुमान जी को ही सौंपा था। कहते हैं कि तभी से हनुमान जी अपने प्रभु श्रीराम का राज काज संभाल रहे हैं।
2- कानपुर में विराजे पंचमुखी हनुमान
कानपुर के पंचमुखी हनुमान यहीं पर हनुमान जी और लवकुश का युद्ध हुआ था। बाद में युद्ध में परास्त होने के बाद, माता सीता ने हनुमान जी को यहां भोजन कराया था। कहते हैं कि माता सीता ने हनुमान जी को लड्डु खिलाये थे, इसीलिये इस मंदिर में उन्हें लड्डुओं का ही भोग लगता है। कानपुर के पंचमुखी हनुमान की विशेषता यह है कि यहां भक्तों को कुछ मांगना नहीं पड़ता बल्कि अंतर्यामी हनुमानजी मन की जानकर, उसे स्वयं ही पूरा कर देते हैं।
3-प्रयाग में संगम किनारे मूर्छित हनुमान
जहाँ सीता जी के सिंदूर से मिला दूसरा जीवन पवनपुत्र हनुमानजी सदा ही श्रीराम, लक्ष्मण और सीता जी की सेवा में हाथ जोड़े बैठे रहते हैं। लेकिन प्रयाग में संगम किनारे हनुमान जी लेटे हुए हैं। कहते हैं कि रावण के साथ लंका युद्ध में हनुमान जी काफी थक गये थे। हनुमान जी संगम किनारे भारद्वाज ऋषि से आशीर्वाद लेने आये थे। लेकिन वह इतने कमजोर हो गये थे कि उन्होने प्राण त्यागने का निर्णय लिया। तभी सीता जी आईं और उन्होने सिंदूर का लेप लगाकर उन्हे नया जीवन दान दिया। यहां जो भी भक्त, हनुमान जी को लाल सिंदूर का लेप करते हैं, उसकी सभी कामनायें पूरी होती हैं। यहां लाल ध्वजा चढ़ाने वालों की भी हर इच्छा पूरी होती है।
4-बरगद से प्रकट हुए हनुमान
वैसे तो खंडित प्रतिमा की पूजा हिन्दू धर्म में नहीं होती है लेकिन बरगद वाले हनुमान खंडित है। इनके प्रति भक्तों की श्रद्धा भी देखते बनती है। ऐसी मान्यता है कि बरगद वाले हनुमान स्वयंभू हैं और ये भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जब यह हनुमान जी प्रकट हुए थे तब उनके माथे पर सोने का मुकुट था। लेकिन एक व्यापारी ने सोने के लालच में हनुमान जी का मस्तक काट लिया। प्रतिमा से खून बहता देख, व्यापारी डर गया और वह मस्तक समेत मुकुट लेकर भागने लगा। लेकिन व्यापारी मुकुट लेकर भाग नहीं सका क्योंकि व्यापारी का जहाज डूब गया। तब से इस हनुमान की खंडित प्रतिमा की पूजा हो रही है। कमलपुरा गांव के लोग सुबह-शाम हनुमान जी की आरती करते हैं। शनिवार को लाल फूल और सिंदूर चढ़ाते हैं।
5-चर्म रोग दूर करते हैं झांसी के हनुमान
झांसी के हनुमान मंदिर में हर ओर पानी ही पानी बिखरा रहता है। इस मंदिर में पानी कहां से आता है कोई नहीं जानता। लेकिन हनुमानजी के इस प्राचीन मंदिर के प्रति भक्तों की आस्था देखते ही बनती है। यहां हनुमान जी की पूजा पाठ की सारी प्रक्रियायें पानी के बीच ही संपन्न होती हैं। कहते हैं कि इस मंदिर के पानी में औषधीय तत्व है। इससे चर्म रोग दूर होता है। कुछ लोगों का कहना है कि उनकी आंखों की रोशनी भी इस पानी से वापस आ गयी। कहते हैं कि एक बार पूजा के दौरान प्रतिमा की आंखों से ही आंसू टपकने लगे थे।
6-गाजीपुर में रोज बढ़ रहे हें हनुमानजी
गाजीपुर का यह मंदिर भी हनुमानजी की इस चमत्कार का साक्षी है। कहते हैं कि यहां के हनुमानजी पाताल का सीना चीर कर बाहर निकले थे जबकि एक और मान्यता यह है कि इस मंदिर की स्थापना महर्षि विश्वामित्र के पिता ने की थी। इतिहासकारों के अनुसार पहले गाजीपुर का नाम गांधीपुर था। ऐसी मान्यता है कि गाजीपुर के हनुमानजी लगातार बढ़ रहे हैं। उनकी प्रतिमा का आकार हर दिन बढ़ता जा रहा है। पहले इस प्रतिमा का सिर्फ मुखड़ा ही दिखता था। अब प्रतिमा के बाकी के भाग के भी दर्शन होने लगे हैं।
7-विन्ध्याचल में वृक्ष से प्रकट हुए हनुमान
यहां हनुमानजी की यह प्रतिमा कब से हैं कोई नहीं जानता। लेकिन श्रद्धालुओं का कहना है कि बालरुप में हनुमान जी सबसे पहले एक वृक्ष से प्रकट हुये थे। ऐसी मान्यता है कि यह हनुमान जी अपने आप बढ़ रहे हैं। शनिदेव के प्रकोप से बचने के लिये भक्त, बंधवा हनुमान की शरण में आते हैं। कहते हैं कि जो भक्त शनिवार को लड्डू, तुलसी और फूल चढ़ाता है, उस पर से साढ़ेसाती का कष्ट कम हो जाता है। बालरुप में विराजने वाले बंधवा हनुमान का स्वरुप भी बच्चों जैसा है।
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