Monday, March 4, 2019

किस देवता का रंग कौन-सा जानिए रहस्य...

किस देवता का रंग कौन-सा जानिए रहस्य...
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धरती पर पहले शुद्ध रूप से चार वर्णों के लोग रहते थे। प्राचीनकाल में श्वेत, रक्त, पीत और कृष्ण रंग के मनुष्यों की ही संख्या अधिक रही है और आज भी है। इन्हें ही गौर, लाल, पीला (गेहुआ) और काला कहा गया। लेकिन क्या कभी किसी ने नीले या श्याम वर्ण के लोगों को देखा है?  
माना जाता है कि प्राचीनकाल में नील वर्ण की भी एक जाति रहती थी। आज भी बहुत से लोगों की आंखे नीली क्यों और किस तरह हो जाती है? क्या सचमुच ही प्राचीनकाल में नीले रंग के भी लोग रहते थे।

अनंत का प्रतीक नीला रंग👉  हिन्दू धर्म अनुसार नीला रंग आत्मा का मूल रंग माना जाता है। कहते हैं कि जब कोई जल ज्यादा गहराई लिए हुए हो तो वह नीला दिखाई देने लगता है। नीलवर्ण विशाल, व्यापकता और अनन्तता का  द्योतक है। अगाध आकाश का रंग नीला है, वैसे ही अनन्त महासागर का रंग भी नीला है।
 
कुछ विद्वान तर्क देते हैं कि राम के नीले वर्ण और कृष्ण के काले रंग के पीछे एक दार्शनिक रहस्य है। भगवानों का यह रंग उनके व्यक्तित्व को दर्शाता है। दरअसल इसके पीछे भाव है कि भगवान का व्यक्तित्व अनंत है। उसकी कोई सीमा नहीं है, वे अनंत है।  

ब्राह्मा👉  ब्रह्मा और सरस्वती का रंग श्वेत बताया गया है।

विष्णु👉 भगवान विष्णु का रंग नीला और माता लक्ष्मी का रंग स्वर्ण के समान है।

शिव👉  शिव का रंग श्याम और माता पार्वती का रंग गौरा बताया जाता है।  

श्रीराम👉 कुछ ग्रंथों अनुसार भगवान श्रीराम भी नीलवर्ण के थे। इसीलिए उन्हें नीलाम्बुज, मेघवर्ण, नीलमणि, गगनसदृश आदि उपमाएं दी जाती हैं। क्या वाकई भगवान राम नीले रंग के थे, किसी इंसान का नीला रंग कैसे हो सकता है?
 
श्रीकृष्ण👉  भगवान श्रीकृष्ण को भी नील वर्ण का माना जाता है। उनके नीले रंग को श्याम वर्ण कहते थे। श्याम रंग अर्थात कुछ-कुछ काला और कुछ-कुछ नीला। दरअसल उनकी त्वचा का रंग मेघ श्यामल था। अर्थात काला, नीला और सफेद मिश्रित रंग। श्याम वर्ण के होने के कारण कुछ कवियों ने उनको काला रंग का मान लिया।   
माता दुर्गा👉  दुर्गामासुर का वध करने के कारण आद्य शक्ति को दुर्गा कहा गया। काजल के समान देह, नील कमल के समान विशाल नेत्रों से युक्त दस भुजाओं वाली देवी ने स्वयं प्रकट होकर देवताओं की रक्षा की थी।  

1.शैलपुत्री : राजा दक्ष की पुत्री सती को ही शैलपुत्री कहा गया। इनका वर्ण गौर है।

2.ब्रह्मचारिणी : माता सती ने हिमालय राज के यहां जन्म लिया और शिव को पाने के लिए कठिन तप किया इसीलिए ब्रह्मचारिणी कहलाई। कठोर तप के कारण इनका रंग काला पड़ गया था लेकिन बाद में गौरा हो गया।
 
3.चंद्रघंटा : माता की तीसरी शक्ति का शारीरिक वर्ण स्वर्ण के समान हैं।  

4.कुष्मांडा : इस देवी का वास सूर्यमंडल के भीतर लोक में है। सूर्यलोक में रहने की शक्ति क्षमता केवल इन्हीं में है। इसीलिए इनके शरीर की कांति और प्रभा सूर्य की भांति ही दैदीप्यमान है।
 
5.स्कंदमाता : ब्रह्मचारिणी और स्कंदमाता एक ही है। स्कन्द', शिव तथा पार्वती के पुत्र कुमार कार्तिकेय का एक और नाम हैं। इनका वर्ण एकदम शुभ्र है।

6.कात्यायनी : कत नमक एक विख्यात महर्षि थे, उनके पुत्र कात्य हुए तथा तथा इन्हीं कात्य के गोत्र में प्रसिद्ध ऋषि कात्यायन उत्पन्न हुए। कात्यायन, ऋषि ने देवी माता को पुत्री रूप में पाने हेतु बहुत वर्षों तक कठिन तपस्या की तथा ऋषि की इच्छानुसार ही मां दुर्गा ने इनके यहाँ पुत्री के रूप में जन्म लिया, तथा कात्यायनी नाम से प्रसिद्ध हुई।
 
7.कालरात्रि : नाम से अभिव्यक्त होता है कि मां दुर्गा की यह सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती है अर्थात जिनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। नाम से ही जाहिर है कि इनका रूप भयानक है।
 
8.महागौरी : महागौरी ही पार्वती है यही स्कंदमाता है और यही ब्रह्मचारिणी है। यही अपने पूर्व जन्म में सती थीं। नाम से प्रकट है कि इनका रूप पूर्णतः गौर वर्ण है। इनकी उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है। ब्रह्मचारिणी के रूप में तपस्या करने के बाद शिव की कृपा से यह गौर वर्ण की हो गई थीं।
 
9.सिद्धिदात्री : भगवान शिव ने भी इस देवी की कृपा से ये तमाम सिद्धियां प्राप्त की थीं। इस देवी की कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण शिव अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए। देवी का स्वरूप कांति युक्त तथा मनोहर हैं।  

दस महाविद्या देवी का वर्ण : 
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1.माता कालीका : मां काली का रंग कहीं-कहीं काला और कहीं पर नीले का वर्णन मिलता है। कुछ विद्वान इन्हें श्यामरंग की मानते हैं।  

2.तारा : भगवती तारा के तीन स्वरूप हैं:- 1.नील सरस्वती 2.एक जटा 3.उग्र तारा। 'आद्या शक्ति महाकाली ने हयग्रीव नमक दैत्य के वध हेतु घोर नीला वर्ण धारण किया तथा वे उग्र तारा के नाम से जानी जाने लगी।

3.त्रिपुर सुंदरी : देवी का शारीरिक वर्ण हजारों उदयमान सूर्य के कांति की भांति है।

4.भुवनेश्वरी : दस महाविद्याकों में से एक माता भुवनेश्वरी का वर्ण लाल बताया गया है। कुछ जगह पर इन्हें स्वर्ण आभा के सामान कांति वाली और देवी उगते सूर्य या सिंदूरी वर्ण से शोभिता हैं। 

5.देवी छिन्नमस्तका : देवी का शारीरक वर्ण पिला या लाल-पीले मिश्रित रंग का हैं। 

6.देवी महा त्रिपुरभैरवी : देवी भैरवी कि शारीरिक कांति हजारों उगते हुए सूर्य के समान है। कभी-कभी देवी का शारीरिक वर्ण गहरे काले रंग के समान प्रतीत होती है, जैसे काली या काल रात्रि देवियों का हैं।

7.धूमावती : देवी धूमावती का वास्तविक रूप धुएं जैसा है अर्थात मटमेला।

8.बगलामुखी : दस महाविद्याओं में से एक बगलामुखी देवी का रंग पीला है।

9.देवी मातंगी : देवी मातंगी का वर्ण गहरे नीले रंग (नील कमल के समान) या श्याम वर्ण का है।

10.कमला : देवी कमला का स्वरूप अत्यंत ही मनोहर तथा मनमोहक हैं तथा स्वर्णिम आभा लिया हुए हैं। अर्थात इनका रंग पीला है।
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