*हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद श्राद्ध करना बेहद जरूरी माना जाता है*
✍🏻मान्यतानुसार अगर किसी मृत व्यक्ति का विधिपूर्वक श्राद्ध और तर्पण ना किया जाए, तो उसे इस लोक से मुक्ति नहीं मिलती और वह भूत के रूप में इस संसार में ही रह जाता है। इसलिए पितरों की मुक्ति के लिए श्राद्धपक्ष का बेहद महत्व है। जानें संपूर्ण जानकारी... ✍🏻पितृ पक्ष का महत्व - *ब्रह्म वैवर्त पुराण* के अनुसार देवताओं को प्रसन्न करने से पहले मनुष्य को अपने पितरों यानि पूर्वजों को प्रसन्न करना चाहिए। हिन्दू ज्योतिष के अनुसार भी पितृ दोष को सबसे जटिल कुंडली दोषों में से एक माना जाता है। पितरों की शांति के लिए हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक के काल को पितृ पक्ष श्राद्ध होते हैं। मान्यता है कि इस दौरान कुछ समय के लिए यमराज पितरों को आजाद कर देते हैं ताकि वह अपने परिजनों से श्राद्ध ग्रहण कर सकें... *श्राद्ध क्या है* - ब्रह्म पुराण के अनुसार जो भी वस्तु उचित काल या स्थान पर पितरों के नाम उचित विधि द्वारा ब्राह्मणों को श्रद्धापूर्वक दिया जाए वह श्राद्ध कहलाता है। श्राद्ध के माध्यम से पितरों को तृप्ति के लिए भोजन पहुंचाया जाता है। पिण्ड रूप में पितरों को दिया गया भोजन श्राद्ध का अहम हिस्सा होता है.......!!
*"कुंडली, वास्तु, अनुष्ठान, पूजा-पाठ के लिए संपर्क करें:-*
*✍🏻"पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री मो. नॉ.- 9993652408, 7828289428 कुंडली परामर्श शुल्क 151/-रु. Phone Pe, Google Pay, Paytm No.- 9993652408*
No comments:
Post a Comment
im writing under "Comment Form Message"