*पाखंडी ज्योतिषियों की खीचड़ी -*
ज्योतिष का धर्म के जन्मना जातिवाद सिद्धांतों के साथ समन्वय करके ही विवाहेच्छुकों की कुंडलीमिलान व अष्टकुटमेल आदि करना शास्त्र सम्मत हैं। पहिले ज्योतिषियों को यह जानना आवश्यक हैं कि जन्मना जात्यंतर्गत ब्राह्मणलड़के के साथ ब्राह्मणलड़की, क्षत्रियलड़के के साथ क्षत्रियलड़की, वैश्यलड़के के साथ वैश्यलड़की, शूद्रलड़के के साथ शूद्रालड़की,
इस तरह अनुलोम तथा प्रतिलोम व मिश्रवर्णसंकर जातकों के लड़के लडकीयाँ अपनी अपनी ही जाति,अनुलोमजाति, प्रतिलोमजाति तथा मिश्रवर्णसंकर जाति में ही समन्वयरिति से मेलापक हो वही धर्मशास्त्र-संगत सैद्धांतिक-न्याय हैं। परंतु धंधेबाज-ज्योतिषियों ग्राहकों की भीड़भाँड का ही आग्रह करने लगकर समानजाति का समन्वय नहीं करते। द्वापरतक ब्राह्मण और क्षत्रियों का वैश्यतक अनुलोम समन्वय मान्य था क्योंकि क्षत्रिय और वैश्य स्वधर्म के पथपर रहकर उचित समयमर्यादा में अपने जनेऊ-संस्कार करवाकर अपने वर्णोचित द्विजधर्म का यथायोग्य पालन करते थे। कलियुग में तो व्रात्यों के संतान के साथ रोटी-बेटी का सम्बन्ध अवैध हैं। (इस तरह समानगोत्र समानप्रवर के विवाहसम्बन्ध अवैध हैं-जनित संतान चांडालत्व को प्राप्त होती हैं)। ऐसा भी नहीं कि व्यवसाय के स्थान पर ही यह हो रहा हैं परंतु हद तो यह हैं कि वोट्सएप पर यह खीचडी़-धंधा बडी जोरी से चल रहा हैं। हम अद्यावधि चारवर्ष तक सोशियल सम्पर्क में आएँ अनेक ग्रूपों में रहचूके हैं वहाँ यह धंधेबाज लड़के लड़कीयों की कुड़ली डालते रहते थे और पाखंडी खीचड़ीबाजों अपनी ज्योतिषविद्या के घमंड में अवैधसम्बन्ध भी मिला देते थे। वारंवार यह दैखकर हमने अनेकोवार इन खीचड़ीबाजों को सावध किया हैं, हमारे साथ ग्रूपों में बहस होती रहती थी हमसे थककर हमें ही ग्रूप से विलग करने लगे थे तब से किसी भी ग्रूप में हम टीकना ही नहीं चाहते । परंतु यह खीचड़ीबाज अभि भी कुछ हद तक वोट्सएप आदि मैसन्जर के माध्यम से केवल व केवल अपनी विद्या को मलिन करते हुए समाज में बहुत भारी मात्रा से *#वर्णसंकरता* फैलाने के काम में लगे हैं।
इन लूटैरों से सावधान रहीये नहीं तो अपने ही लड़के लड़कीयों को ये धूर्तों भगवा भी देंगे।
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