*"कनफट्टा और कान फाट्या"*
नाथ योगी जो दर्शनी (कुंडल, मुद्रा)
धारण करने वाले है, उन्हें संप्रदाय में
"शिव स्वरूप" ही माना जाता है,
नाथ योगी एक दूसरे को,
"दर्शनी काया, शिव की काया"
ऐसा कह कर सम्मान देते है,
नाथो के कुंडल जिसे दर्शन,
मुद्रा आदि नामो से भी जाना जाता है,
यह सिर्फ दिखावे अथवा श्रृंगार हेतु नहीं है,
परंतु यह परिपूर्ण प्रतीक है
जीवात्मा और परमात्मा के एक होने का,
शिव और शक्ति, प्रकृति और पुरुष
सूर्य और चन्द्र के रूप है दोनों कुण्डल,
आदिनाथ शिव द्वारा मत्स्येंद्रनाथजी को
प्रथम कुण्डल धारण करवाए गए,
जो स्वयं माता पार्वती (धरती स्वरूप)
ने अपने हाथो से बनाए,
तत्पश्चात दादा गुरु मत्स्येंद्रनाथजी ने,
गोरक्षनाथ जी को और गोरक्षनाथ जी द्वारा अपने
अनेकों शिष्यों को कुण्डल धारण करवा कर
सिद्ध स्वरूप कर दिया,
चारो युगों से ही यह प्रथा अविरत और अखंड है,
कुण्डल पहनना यह नाथ संप्रदाय के समर्पण,
और त्याग के प्रबल प्रतीक है
शरीर को भभूत लगाने के बाद धो सकते है,
भगवा वस्त्र उतार कर दूसरे पहन सकते है,
पर कुण्डल तोह स्थाई "छाप" है श्री नाथजी की,
जो अनंत काल तक लगी रहती है,
इसे मिटाया या छुपाया नहीं जा सकता।
नाथ योगियों को "कनफट्टा" अथवा
"कान फाट्या" कहना
यह किसी को भी उचित नहीं लगता,
हल्का और अपमान जैसे ही समझे,
यह शब्द भेख भगवान अथवा नाथ संप्रदाय
से नहीं चलाया गया,
बल्कि जो "बाहर" के अनजान लोग है,
जाने अंजाने में ऐसे शब्दों का प्रयोग करने लगे,
जो या तोह अज्ञान है या सोची समझी मूर्खता.
(कुछ लोग यह शब्द सिर्फ साधुओं को,
अपमानित करने उपयोग करते है)
भेख भगवान और संप्रदाय में कुंडल धारण करने वाले
योगियों और साधुओं के लिए,
दर्शनी योगी, सिद्ध, अवधूत,नाथजी
यही शब्द प्रयोग होते है ।
तोह सभी भक्तो, योगियों और ज्ञानीजनों से विनंती है
की किसी भी नाथ योगी,
चाहे वह गोरक्षनाथजी - मत्स्येंद्रनाथजी इत्यादिक महासिद्ध हो अथवा वर्तमान समय के सिद्ध साधू,
या कोई भी नाथ योगी,
उनके लिए "कनफट्टा" अथवा "कान फाट्या"
शब्दों का उपयोग कर गुरु गोरक्षनाथ जी
के दोषी ना बने,
नाथ संप्रदाय और उसके योगी यह समाज
के कल्याण के लिए है, आप के लिए है,
उन्हें सम्मान दीजिए,
वह आपको अमूल्य ज्ञान देंगे
उन्हें आदर और प्रेम से,
दर्शनी कहिए, नाथजी कहिए,
मुद्रा - कुंडलधारी कहिए 🙏
*नम्र विनंती :- योगी अवंतिकानाथ,*
*गुरु श्री श्री १०८ महंत योगी*
*श्री तुलसीनाथजी महाराज ।*
*(गिरनार)*
*शिवगोरक्ष कल्याण करे,*
*गुरु पीरो की कृपा रहे,*
*आदेश अलख आदेश ।।*
No comments:
Post a Comment
im writing under "Comment Form Message"