Tuesday, February 12, 2019

शनि महाराज

आचार्य डॉ0 विजय शंकर मिश्र (प्रशासनिक सेवा) वेदाचार्य ज्योतिषाचार्य आयुर्वेदरत्न:

हमारे देश में शनि महाराज के नाम पर सबसे अधिक लूट की जा रही है शास्त्रों और पुराणों में जबसे अंग्रेजों ने मिलावट की है लोग वैदिक ज्ञान और वेद को भूल गए है वेद से बड़ा संसार का कोई ग्रन्थ नही है सनातन धर्म में भी वेद से प्राचीन कोई अन्य ग्रन्थ नही है वेद क्या कहता है शनि उपासना के बारे में ये जानना जरूरी है ।
सूर्य को शरीर कहा गया हें...चन्द्रमा को मन कहा गया हें..मंगल को सत्व , बुध को वाणी-विवेक, गुरु को ज्ञान और सुख ,शुक्र को काम और वीर्य, शनि को दुःख,कष्ट और परिवर्तन तथा राहू और केतु को रोग एवं चिंता का करक/अधिष्ठाता माना जाता हें..
 'यथा ब्रह्माण्डे तथा पिण्डे' -चरक संहिता का यह श्लोकांश हमें समझाता है कि जो-जो इस ब्रह्माण्ड में है वही सब हमारे शरीर में भी है।
सम्पूर्ण ब्रह्मांड सूक्ष्म रूप से शरीर में वास करता है समस्त नव ग्रह, पंच महाभूत सब शरीर में स्थित है इसीलिए जब योगी का मस्तिष्क ब्रह्मांड से जुड़ता है तब उसकी तरंगे नव ग्रहों से जुड़कर काम करने लगती है मस्तिष्क समस्त ब्रह्मांड से ऊर्जा खींचने लगता है हमारे देश में मान्यता है कि शनि महाराज एक देवता है जो लोगों के कर्मो के अनुसार न्याय करते है वेद इस बात का समर्थन नही करता बल्कि इसका वास्तविक कारण वैज्ञानिक रूप से बताता है वेद अनुसार समस्त ब्रह्मांड law of attraction आकर्षण के सिद्धांत पर चलायमान है हर चीज एक दूसरे से जुड़ी हुई है जब हम कोई अच्छा या बुरा कर्म करते है तो हमारे दिमाग में ये बात अवचेतन मन मे नोट हो जाती है कि हमने क्या काम किया अच्छा या बुरा क्योंकि बुद्धी चंचल होती है इसलिये कर्म करने के बाद भी मन उसी में अप्रत्यक्ष रूप से अटका ही रहता है उदहारण के तौर पे यदि कोई बच्चा पहली बार चोरी करता है तो उसके अवचेतन मन मे ये बात नोट हो जाएगी फिर यदि वो एक बार चोरी कर ले तो अवचेतन मन मे वही बात घूमती रहेगी खासकर सोते समय क्योंकि subconscious mind सोते वक्त ज्यादा तेजी से काम करता है जब वो बच्चा जागेगा तो फिर उसके चेतन मन यानी conscious mind  में भी ये बात घूमती रहेगी कि उसने चोरी की थी जो धीरे धीरे उसके चेतन मन पे हावी होती जाएगी और फिर से चोरी करने का विचार उस बच्चे या इंसान के मन मे पनपेगा क्योंकि अब उसके चेतन और अवचेतन मन मे ये बात जम चुकी है उसका किया कर्म उसके अंदर ही स्थित हो चुका है जो अब दुबारा उसे वही कर्म दोहराने के लिए प्रेरित करेगा और इस अवस्था मे मनोविज्ञान के अनुसार 79% लोग वही काम दोबारा करते है जो एक बार कर चुके हो और जैसे ही ये कर्म दूसरी बार होता है इसकी जड़ें मन मस्तिष्क में या कहे चेतन और अवचेतन दोनों मन मे गहरी होती जाती है और फिर इंसान वही काम बार बार करता जाता है बिना परिणाम सोचे क्योंकि यदि अच्छा काम किया जाए तो शरीर मे सकारात्मक ऊर्जा का का निर्माण होता है और गलत काम करने पर नकारात्मक ऊर्जा का जो शरीर और मस्तिष्क पे हावी हो जाती है और फिर यदि इंसान सकारात्मक ऊर्जा से भरा हो तो ये ऊर्जा उसका विकास करवाती है और यदि नकारात्मक ऊर्जा से भरा हो तो नेगेटिव एनर्जी नाश ही करती है इस तरह इंसान का कर्म भी उसकी ईच्छा से चुना जाता है और उसी समय से चुने गए कर्म से उसका भविष्य और परिणाम भी तय हो जाता है क्योंकि ये सब एक दूसरे से जुड़ा है इस में देवी देवताओं या ग्रहों का कोई सम्बन्ध नही है ।
 पौराणिक मान्यताओं या कथा अनुसार भी सूर्य नामक देव के पुत्र थे यम, शनि, यमुना, कर्ण । जिनमें से उनके पुत्र शनि के नाम पर सौर मंडल में स्थित 9 ग्रहों में से 1 ग्रह का नाम शनि रखा गया इसका कारण ये था कि पूर्वकाल में शनि नामक ग्रह जिसका नाम सूर्य देव के पुत्र शनि के नाम पर रखा गया था ये ग्रह शनि के समान दिखाई देता था यानी कि इस ग्रह की उज्जवलता इसका तेज शनि के नाम के समान था इसलिये इसे शनि नाम दिया गया । 
     वेद अनुसार वास्तविक परमात्मा को ही सूर्य, चन्द्र, अग्नि, वरुण, अरुण, इंद्र, बृहस्पति, आदि  के नामों से पुकारा गया है ये परमात्मा के गौनिक
नाम है । उसी को इन सब नामो से पुकारा गया है लेकिन शनि देव या ग्रहों के चमत्कार के नाम पर ढोंग पाखण्ड आज देश मे पैर पसार चुका है लोगो के दिमाग मे ये धारणा बैठ गयी है कि कोई ऊपर न्याय करने वाला देवता बैठा है जबकि वेद अनुसार ऐसा कुछ भी नही है सब कुछ वैदिक विज्ञान पर आधारित है इस मे कोई भी चमत्कार नही है बल्कि परा विज्ञान है जिसे ना समझ पाने वाले लोग इसे चमत्कार का नाम देते है ।
प्राचीन समय से ही लोगो को ग्रहों देवी देवताओं या परमात्मा के नाम पर डराकर लूटने का काम जारी है स्वर्ग नरक के झूठे किस्से बनाकर इंसान को डराया जाता है जो वेद विरुद्ध है । गुरु लोग अपनी कथाओं के नाम पे आज लोगो को मूर्ख बनाने में लगे है और इसका एक मात्र कारण है जनता का अपने धर्म को अपने वेदों को उन में लिखे वैदिक ज्ञान को ना जानना जिस कारण व्व मूर्ख बन जाते है । 

  ( आस्था परमात्मा में होनी चाहिए वो अपनी जगह है लेकिन शनि देव के नाम पर लोगो को मूर्ख बनाना ये बहुत गलत है पुराणों में शनि महाराज को न्याय करने वाला इसलिए कहा गया है क्योंकि वो सदैव न्याय के पक्षधर रहे जैसे श्री राम श्री कृष्ण हनुमानजी परशुरामजी आदि महापुरुष रहे इसी प्रकार शनि महाराज भी न्याय और सत्य का साथ देते थे वो तपस्वी थे ईश्वर के परम भक्त थे उन्होंने भी वेदों का ज्ञान लिया था वेदों को पढ़ा था शास्त्रो का ज्ञान अपने पिता सूर्य देव से लिया था शस्त्र विद्या का ज्ञान महादेव से लिया था । लेकिन आज उन जैसे तपस्वी वैदिक पुरुष के नाम पे लोगो को डराया जाता है पाखण्ड किया जाता है मन्दिर बनाकर लोगो से दान दक्षिणा में 2100, 5100, 11000, 21000, 51000 जैसी मोटी रकम पूजा पाठ के नाम पर लूटी जाती है और सनातन धर्म का घोर अपमान किया जाता है और भक्त लोग भी दान करते समय ये नही देखते कि उनके दिए दान का बाद में क्या प्रयोग होता है जो कि सरासर अनुचित और पाखण्ड है जिस तरह आज iskcon जैसी विदेशी संस्थाए भारत मे मन्दिर बना कर श्री कृष्ण के नाम पर लूट रही है दोनों हाथों से ठीक ऐसा ही आज शनि महाराज के नाम पर हनुमानजी आदि महापुरुषों के नाम पर देश मे एक गोरख धंधा बन गया है खुल गया है जहां शक्तियों को बुलाने का दिखावा करके भूत प्रेत का डर दिखाकर लोगो से पैसे बनाये जा रहे है और लोग डर के कारण दान दक्षिणा कर देते है जरूरी है ये सब रोका जाए ताकि जनता मूर्ख बनने से बचे और जनता को वेदों का सही ज्ञान शास्त्रो का सही ज्ञान दिया जाए ) 

   आदेश आदेश 
    जय परमेश्वरि
    जय शंकर की

No comments:

Post a Comment

im writing under "Comment Form Message"