Tuesday, January 29, 2019

“ जय अंजनी कुमार बलवन्ता, शंकर सुवन वीर हनुमन्ता ”🚩

भक्तो जरूर पढ़ें
शारीरिक व मानसिक कमजोरी दूर करने का उपाय
👉 मन्त्र इस प्रकार है –
" जय अंजनी कुमार बलवन्ता, शंकर सुवन वीर हनुमन्ता "🚩
जब बात प्रचंड मानसिक शक्ति, प्रचंड आत्मिक शक्ति, प्रचंड साहस, प्रचंड बाहुबल की आती है तो सबसे पहला नाम आता है भगवान् शिव के अवतार, श्री बजरंग बली हनुमान जी का !
भगवान् के हर अलग अलग अवतार की अलग अलग विशेषताएं होती हैं और किसी भी तरह की हीन भावना, निराशा, दुःख या डिप्रेशन, फ्रस्ट्रेशन, मानसिक कमजोरी या शारीरिक कमजोरी आदि को दूर करने के लिए अचूक उपाय है, श्री बजरंग बाण ग्रन्थ में दिया गया यह मन्त्र जिसका मात्र 10 मिनट जप करने से ही मन में अद्भुत साहस का संचार शुरू होने लगता है जिसे कोई भी आदमी तुरंत जप करके प्रत्यक्ष महसूस कर सकता है !
इस मन्त्र का प्रतिदिन 10 मिनट से आधा घंटा जप करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बहुत ज्यादा बढ़ने लगता है, उसे कठिन से कठिन काम भी बेहद आसान लगने लगता है, उसे किसी भी चीज से डर लगना बंद हो जाता है, उसकी शारीरिक ताकत भी रोज बढ़ने लगती है, व्यक्ति कभी भी निराश नहीं होता और ना ही कभी तनाव में आता है, व्यक्ति खूब मेहनती होने लगता है …………… कुल मिलाकर निष्कर्ष यही है कि व्यक्ति धीरे धीरे हनुमान जी के सारे गुण (अर्थात प्रचंड ताकत, प्रचंड साहस, प्रचंड आत्मविश्वास आदि) निश्चित प्राप्त करने लगता है !
जप करना बहुत ही आसान है ! इसमें बस शुरू में श्री हनुमान जी से प्रार्थना करनी होती है कि भगवान् मै उस आदमी (जिसकी मानसिक या शारीरिक स्थिति मजबूत करनी हो) की स्थिति से बहुत दुखी और परेशान हूँ इसलिए कृपया उस आदमी के शरीर को जल्द से जल्द स्वस्थ और निरोगी बनाइये !

जपते समय जपने वाले की रीढ़ की हड्डी सीधी रहे तो बेहतर होता है (सीधे लेटकर भी जप किया जा सकता है), और जप जितना ज्यादा मात्रा में होगा उतना जल्दी फायदा मिलेगा पर ज्यादा जपने के चक्कर में गलत नहीं जपना चाहिए !

अगर कोई बहुत बीमार, बूढ़ा या घायल हो तो उसके ऊपर कोई नियम – परहेज आदि लागू नहीं होता और वो कभी भी जप कर सकता है ! लेकिन कोई अपेक्षाकृत ठीक शारीरिक अवस्था में हो तो उसके द्वारा इस मन्त्र को जपते समय उसके शरीर पर चमड़े का कोई सामान (जैसे – बेल्ट आदि) नहीं होना चाहिए और लैट्रिन, पेशाब व खाना खाते समय भी नहीं जपना चाहिए, बाकि हर समय जप सकते हैं !

भगवान के नाम और भगवान के मन्त्र, दोनों के जप में अन्तर होता है ! भगवान के नाम का जप कहीं भी, बिना शुद्ध अशुद्ध अवस्था का परहेज किये किया जा सकता है जबकि भगवान के मन्त्र का जप अशुद्ध जगह (जैसे – लैट्रिन, पेशाब, जूठे मुंह, चमड़े का स्पर्श, पत्नी पति के साथ रति क्रिया आदि) पर नहीं करना चाहिए ! लेकिन बहुत बीमार, बूढ़े या घायल होने पर कोई नियम – परहेज आदि लागू नहीं होता ! पर एक बात का परहेज सभी पर लागू होता है, और वो है कि भगवान के किसी भी नाम या मन्त्र का गलत उच्चारण नहीं करना चाहिए नहीं तो फायदे की जगह नुकसान भी हो सकता है !

जप के अन्त में भगवान् हनुमान जी से माफ़ी मांगना चाहिए की मुझसे जानबूझकर और अनजाने में जो कुछ भी गलतियाँ हो गयी हैं कृपया उन सब के लिए मुझे माफ़ करिए !

सामान्य आदमी भी इस मन्त्र को रोज जपे तो हनुमान जी उसे हर तरह की खतरनाक बिमारियों और हर तरह की खतरनाक मुसीबतों से भी बचाते हैं !

ध्यान रहे की श्री हनुमान जी परम सत्व गुण के देवता हैं इसलिए जप करने वाले को खुद, तामसिक भोजन मतलब मांस, मछली, अंडा, शराब, बियर आदि का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए और ना ही ऐसे मार्केट में मिलने वाले सामान जिसमें ये सब मिले होने की सम्भावना हो (जैसे – पिज्जा, बर्गर, चाकलेट, नूडल्स, कॉस्मेटिक, लिपस्टिक, डीयो आदि) का सेवन या इस्तेमाल ना करना चाहिए !

जप शुरू करने से पहले और अन्त में एक बार प्रभु श्री राम सीता जी को राम राम करना नही भूलना चाहिए !

::जय श्री राम:: जय हनुमान:: जय सिया राम::

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