Thursday, January 24, 2019

*वास्तु दोष को शांत करने वाले मंत्र -*



*वास्तु दोष को शांत करने वाले मंत्र -* 

– कभी कभी ना चाहते हुए भी घर बनाते समय वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है | यह दोष घर के सभी सदस्यों पर भारी पड़ता है | दुर्भाग्य , बीमारी और चिढचिढ़ेपन से सभी दुखी रहते है | हमें अति शीघ्र इस वास्तु दोष को दूर करना चाहिए | वास्तु शास्त्र में वास्तु दोष निवारण यन्त्र की स्थापना करके नित्य पूजा करे | इससे वास्तु दोष के कारक शांत होते है |इस आलेख में हम वास्तु दोष को दूर करने वाले मंत्र और जप विधि आपके लिए लाये है |


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वास्तु दोष दूर करने वाले 8 मंत्र

वैसे तो दिशाए 10 होती है पर वास्तु शास्त्र में 8 दिशाओ के आधार पर ही नियम बनाये गये है | किस दिशा से किस कौनसा देवता आपके वास्तु दोष से नाराज है | उन्ही के लिए वास्तु मंत्र का जप किया जाता है | वास्तु मंत्र का सही विधि से जप करने से ये दोष कम होते है और घर में सुख समृधि आपसी प्रेम बढ़ता है |


उत्तर दिशा से वास्तु दोष कम करने का मंत्र

हमारे सनातन धर्म में उत्तर दिशा धन के देवता कुबेर की बताई गयी है | यदि इस दिशा में वास्तु दोष है तो धन की कमी और अनावश्यक खर्च बढ़ जाते है | इस आर्थिक नुकसान से बचने के लिए कुबेर को प्रसन्न करे |


मन्त्र है : ॐ कुबेराय नमः और ॐ बुधाय नमः
वास्तु दोष निवारण मंत्र 
ये मंत्र दूर करेंगे वास्तु दोष
दक्षिण दिशा से दोष शांति  मंत्र

शास्त्रों के अनुसार दक्षिण दिशा यमराज और नवग्रहों में मंगल की होती है | यदि घर के दक्षिण में वास्तु दोष है तो आप मंगल यन्त्र को स्थापित करे और मंगल दोष निवारण उपाय काम में ले |


मन्त्र है : ऊँ अं अंगारकाय नमः और यम देवता के लिए ॐ ऊँ यमाय नमः

आग्नेय दिशा (दक्षिण-पूर्व) दोष दूर मंत्र

यह दिशा अग्नि कोण की मानी जाती है | घर के इस भाग में जल तत्व नही अग्नि जरुर होनी चाहिए | वास्तु शास्त्र में रसोई के लिए यह जगह सबसे अच्छी है | यदि इस दिशा में वास्तु का दोष है तो फिर आप अग्नि देव और शुक्र देव  को प्रसन्न करने वाले मंत्र का जप करे | 

मंत्र : ऊँ अग्नेय नमः और ॐ ऊँ शुं शुक्राय नमः

ईशान (उत्तर-पूर्व ) दिशा मंत्र

इस दिशा के देवता महादेव है और स्वामी है देवताओ के गुरु बृहस्पति | आप इस दिशा के वास्तु दोष को दूर करने के लिए शिव और बृहस्पति देव को प्रसन्न करे |

शिव और बृहस्पति मंत्र : ॐ नमः शिवाय और ऊँ बृं बृहस्पतये नमः 

नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) दिशा 

घर में दक्षिण-पश्चिम दिशा को राहु की दिशा माना गया है | यदि इस दिशा में दोष होता है तो अकस्मात दुर्घटना हो सकती है | राहु के मन्त्र जप से आप वास्तु दोष को कम कर सकते है |

मंत्र : ऊँ नैऋताय नमः और ऊँ रां राहवे नमः

पश्चिम दिशा दोष मुक्ति मंत्र

वरुण देव और सूर्य पुत्र शनिदेव को इस दिशा का स्वामी माना जाता है | वास्तुशास्त्र में पश्चिम दिशा से दोष मुक्ति के लिए आप इन देवताओ के मंत्र का नित्य जप करे |

मंत्र : ऊँ शं शनैश्चराय नमः और ॐ जलदेव वरुणाय नमः

पूर्व दिशा दोष मुक्ति मंत्र

पूर्व दिशा के स्वामी भगवान सूर्यदेव और इन्द्र को बताया गया है | आप इन दोनों के मंत्र का जाप करे जिससे आपका यश कीर्ति बढ़ेगी | 

मंत्र : सूर्य का बीज मंत्र ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः 

वायव्य (उत्तर-पश्चिम) दिशा मंत्र

यह दिशा भगवान चन्द्र देवता की है | इसके देवता वायुदेव है | चन्द्र दोष वाले व्यक्ति का मन चंचल होता है | मन के हारे हार है , मन के जीते जीत | मन ही सफलता की कुंजी माना गया है | चन्द्र और वायु देव के मन्त्र जपे |

मंत्र : ॐ सोमाय: नमः ॐ वायुदेवाय: नमः

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