ग्रह शांति के अचूक 50 सूत्र
ॐ नमः जय स्वाहा – दिन में कम से कम एक बार बोलने से सभी कार्य बनते है।
प्रत्येक को अपने घर में कल्पवृक्ष,कामधेनु व चिंतामणि रत्ना का चित्र रखना चाहिए।
व्रतियों, महाव्रतियों को आहार करना चाहिए।
साकार परमात्मा की उपासना करना चाहिए।
प्रतिदिन दान करना चाहिए।
अतिथि सेवा।
दिन में ब्रहमचर्य का पालन।
अवस्त्र स्नान नहीं करना।
माता – पिता का आदर करना।
कुटुम्बी जनों से बैर न करना।
अपनों से बड़ों का आशीर्वाद लेना।
व्यसनों का त्याग करना।
प्रसन्नचित होकर भोजन करना।
सूर्य की ओर मल का त्याग न करना।
ऋण चुकाया जाना चाहिए।
झूठे बर्तन रात्रि में नहीं छोड़ना चाहिए।
टूटे बर्तन, टूटा दर्पण घर में नहीं रखना चाहिए।
पिता को दुखी करके धन नहीं लेना।
सभी के सुखी जीवन की कामना करना।
कृतघ्नी व्यक्ति की कभी दोस्ती न करना।
जानवरों को भोजन देना।
असहाय की सेवा करना।
विकलांगों पर दया करना।
अपने माकन में कहीं कच्ची जगह छोड़ देना चाहिए।
नैऋत्य कोण में घर के दरवाजे वाले घर का त्याग कर देना चाहिए।
घर में कोई छेद न हो।
लोभ में आकर चोरी का पात्र धारण न करें।
बुआ, बहन, बेटी आदि के लिए उपहार देना चाहिए।
अबला, कन्या, विधवा पर हाथ न उठाएं।
सम्बन्धी से मित्रता का व्यवहार रखें, दुश्मनी न करें
जहाँ कहीं भी रहते है उस परिवेश में प्रेम पूर्वक व्यवहार करें, उपेक्षा न करें।
व्यक्ति सफाई से रहे।
स्त्रियों को नाक व कान छिदवाना चाहिए।
कपडे व्यवस्थित पहने।
शाकाहारी वस्तुओं का उपयोग करें।
अपशब्दों का प्रयोग न करें।
सुबह उठते सबसे पहले अपने हाथों की हथेली देखें।
हथेली और तलवे सोने से पहले साफ़ करके सोना चाहिए
खड़े खड़े पानी न पीयें।
भोजन बनाते बनाते भोजन न करें।
जिस माकन में दरवाजे आवाज़ करते हैं उस घर में न रहे,उसमे तेल लगाकर रहे।
अलमारी व पलंग हिलते न हो।
बीम के नीचे शयन व आसन न हो।
भगवन व गुरु को पीठ देकर बैठने वाले व्यक्ति के गृह दोष निवारण का उपाय कारगर नहीं होता।
धर्मग्रन्थ को अपने से नीचा आसन न दें।
अक्षरों पर पैर नहीं रखना चाहिए।
बंद घडी, टूटी केसेट, सी डी, आदि को घर में नहीं रखना चाहिए।
ईशान दिशा में शौचालय नहीं होना चाहिए।
नैऋत्य कोण में यदि कर्मचारी अथवा अतिथियों का वास है और अग्नि कोण में जल का प्रवास हो तो द्वन्द ही होगा।
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