Saturday, January 26, 2019

दुर्लभ मंत्र

ये हैं बगलामुखी देवी के दुर्लभ मंत्र

ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ॐ नम: इस मंत्र से काम्य प्रयोग भी संपन्न किये जाते हैं जैसे...
मधु. शर्करा युक्त तिलों से होम करने पर मनुष्य वश में होते है।

मधु. घृत तथा शर्करा युक्त लवण से होम करने पर आकर्षण होता है।

तेल युक्त नीम के पत्तों से होम करने पर विद्वेषण होता है।
हरिताल, नमक तथा हल्दी से होम करने पर शत्रुओं का स्तम्भन होता है।

भय नाशक मंत्र

अगर आप किसी भी व्यक्ति वस्तु परिस्थिति से डरते है और अज्ञात डर सदा आप पर हावी रहता है तो देवी के भय नाशक मंत्र का जाप करना चाहिए…

ॐ ह्लीं ह्लीं ह्लीं बगले सर्व भयं हन

पीले रंग के वस्त्र और हल्दी की गांठें देवी को अर्पित करें।
पुष्प,अक्षत,धूप दीप से पूजन करें।

रुद्राक्ष की माला से 6 माला का मंत्र जप करें।

दक्षिण दिशा की और मुख रखें।

शत्रु नाशक मंत्र

अगर शत्रुओं नें जीना दूभर कर रखा हो, कोर्ट कचहरी पुलिस के चक्करों से तंग हो गए हों, शत्रु चैन से जीने नहीं दे रहे, प्रतिस्पर्धी आपको परेशान कर रहे हैं तो देवी के शत्रु नाशक मंत्र का जाप करना चाहिए।

ॐ बगलामुखी देव्यै ह्लीं ह्रीं क्लीं शत्रु नाशं कुरु

नारियल काले वस्त्र में लपेट कर बगलामुखी देवी को अर्पित करें

मूर्ती या चित्र के सम्मुख गुगुल की धूनी जलाये
रुद्राक्ष की माला से 5 माला का मंत्र जप करे
मंत्र जाप के समय पश्चिम कि ओर मुख रखें

जादू टोना नाशक मंत्र

यदि आपको लगता है कि आप किसी बुरु शक्ति से पीड़ित हैं, नजर जादू टोना या तंत्र मंत्र आपके जीवन में जहर घोल रहा है, आप उन्नति ही नहीं कर पा रहे अथवा भूत प्रेत की बाधा सता रही हो तो देवी के तंत्र बाधा नाशक मंत्र का जाप करना चाहिए।

ॐ ह्लीं श्रीं ह्लीं पीताम्बरे तंत्र बाधाम नाशय नाशय

आटे के तीन दिये बनाये व देसी घी ड़ाल कर जलाएं।
कपूर से देवी की आरती करें।

रुद्राक्ष की माला से 7 माला का मंत्र जप करें।
मंत्र जाप के समय दक्षिण की और मुख रखें।

पढ़ें : कुछ ऐसे करें मां बगलामुखी की आराधना होगा लाभ
प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता का मंत्र

आपने कई बार इंटरव्‍यू या प्रतियोगिताओं को जीतने की कोशिश की होगी और आप सदा पहुँच कर हार जाते हैं, आपको मेहनत के मुताबिक फल नहीं मिलता, किसी क्षेत्र में भी सफल नहीं हो पा रहे, तो देवी के साफल्य मंत्र का जाप करें

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं बगामुखी देव्यै ह्लीं साफल्यं देहि देहि स्वाहा:

बेसन का हलवा प्रसाद रूप में बना कर चढ़ाएं।

देवी की प्रतिमा या चित्र के सम्मुख एक अखंड दीपक जला कर रखें।

रुद्राक्ष की माला से 8 माला का मंत्र जप करें।

मंत्र जाप के समय पूर्व की और मुख रखें।

बच्चों की रक्षा का मंत्र

यदि आप बच्चों की सुरक्षा को ले कर सदा चिंतित रहते हैं, बच्चों को रोगों से, दुर्घटनाओं से, ग्रह दशा से और बुरी संगत से बचाना चाहते हैं तो देवी के रक्षा मंत्र का जाप करना चाहिए।

ॐ हं ह्लीं बगलामुखी देव्यै कुमारं रक्ष रक्ष
देवी माँ को मीठी रोटी का भोग लगायें।

दो नारियल देवी माँ को अर्पित करें।
रुद्राक्ष की माला से 6 माला का मंत्र जप करें।
मंत्र जाप के समय पश्चिम की ओर मुख रखें।

लम्बी आयु का मंत्र

यदि आपकी कुंडली कहती है कि अकाल मृत्यु का योग है, या आप सदा बीमार ही रहते हों, अपनी आयु को ले कर परेशान हों तो देवी के ब्रह्म विद्या मंत्र का जाप करना चाहिए…

ॐ ह्लीं ह्लीं ह्लीं ब्रह्मविद्या स्वरूपिणी स्वाहा:

पीले कपडे व भोजन सामग्री आता दाल चावल आदि का दान करें।

मजदूरों, साधुओं,ब्राह्मणों व गरीबों को भोजन खिलायें।
प्रसाद पूरे परिवार में बाँटे।

रुद्राक्ष की माला से 5 माला का मंत्र जप करें।
मंत्र जाप के समय पूर्व की ओर मुख रखें।

बल प्रदाता मंत्र

यदि आप बलशाली बनने के इच्छुक हो अर्थात चाहे देहिक रूप से, या सामाजिक या राजनैतिक रूप से या फिर आर्थिक रूप से बल प्राप्त करना चाहते हैं तो देवी के बल प्रदाता मंत्र का जाप करना चाहिए…

ॐ हुं हां ह्लीं देव्यै शौर्यं प्रयच्छ

पक्षियों को व मीन अर्थात मछलियों को भोजन देने से देवी प्रसन्न होती है

पुष्प सुगंधी हल्दी केसर चन्दन मिला पीला जल देवी को को अर्पित करना चाहिए

पीले कम्बल के आसन पर इस मंत्र को जपें.
रुद्राक्ष की माला से 7 माला मंत्र जप करें
मंत्र जाप के समय उत्तर की ओर मुख रखें

सुरक्षा कवच का मंत्र

प्रतिदिन प्रस्तुत मंत्र का जाप करने से आपकी सब ओर रक्षा होती है, त्रिलोकी में कोई आपको हानि नहीं पहुंचा सकता ।

ॐ हां हां हां ह्लीं बज्र कवचाय हुम

देवी माँ को पान मिठाई फल सहित पञ्च मेवा अर्पित करें
छोटी छोटी कन्याओं को प्रसाद व दक्षिणा दे
रुद्राक्ष की माला से 1 माला का मंत्र जप करें
मंत्र जाप के समय पूर्व की ओर मुख रखें

ये स्तम्भन की देवी भी हैं। कहा जाता है कि सारे ब्रह्मांड की शक्ति मिलकर भी इनका मुकाबला नहीं कर सकती। शत्रु नाश, वाक सिद्धि, वाद-विवाद में विजय के लिए देवी बगलामुखी की उपासना की जाती है।

बगलामुखी देवी को प्रसन्न करने के लिए 36 अक्षरों का

 बगलामुखी महामंत्र

'ऊं हल्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिहवां कीलय बुद्धिं विनाशय हल्रीं ऊं स्वाहा' 

का जप करें। हल्दी की माला पर करना चाहिए।


|| कार्य~सिद्धि कारक गोरक्षनाथ मंत्र ||
मन्त्रः-
"ॐ गों गोरक्षनाथ महासिद्धः, सर्व-व्याधि विनाशकः ।
विस्फोटकं भयं प्राप्ते, रक्ष रक्ष महाबल ।। १।।
यत्र त्वं तिष्ठते देव, लिखितोऽक्षर पंक्तिभिः ।
रोगास्तत्र प्रणश्यन्ति, वातपित्त कफोद्भवाः ।। २।।
तत्र राजभयं नास्ति, यान्ति कर्णे जपाः क्षयम् ।
शाकिनी भूत वैताला, राक्षसा प्रभवन्ति न ।। ३।।
नाऽकाले मरणं तस्य, न च सर्पेण दश्यते ।
अग्नि चौर भयं नास्ति, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं गों ।। ४।।
ॐ घण्टाकर्णो नमोऽस्तु ते ॐ ठः ठः ठः स्वाहा ।।"
 विधिः- यह मंत्र तैंतीस हजार या छत्तीस हजार जाप कर सिद्ध करें । इस मंत्र के प्रयोग के लिए इच्छुक उपासकों को पहले गुरु-पुष्य, रवि-पुष्य, अमृत-सिद्धि-योग, सर्वार्त-सिद्धि-योग या दिपावली की रात्रि से आरम्भ कर तैंतीस या छत्तीस हजार का अनुष्ठान करें । बाद में कार्य साधना के लिये प्रयोग में लाने से ही पूर्णफल की प्राप्ति होना सुलभ होता है ।
विभिन्न प्रयोगः- इस को सिद्ध करने पर केवल इक्कीस बार जपने से राज्य भय, अग्नि भय, सर्प, चोर आदि का भय दूर हो जाता है । भूत-प्रेत बाधा शान्त होती है । मोर-पंख से झाड़ा देने पर वात, पित्त, कफ-सम्बन्धी व्याधियों का उपचार होता है ।
१॰ मकान, गोदाम, दुकान घर में भूत आदि का उपद्रव हो तो दस हजार जप तथा दस हजार गुग्गुल की गोलियों से हवन किया जाये, तो भूत-प्रेत का भय मिट जाता है । राक्षस उपद्रव हो, तो ग्यारह हजार जप व गुग्गुल से हवन करें ।
२॰ अष्टगन्ध से मंत्र को लिखकर गेरुआ रंग के नौ तंतुओं का डोरा बनाकर नवमी के दिन नौ गांठ लगाकर इक्कीस बार मंत्रित कर हाथ के बाँधने से चौरासी प्रकार के वायु उपद्रव नष्ट हो जाते हैं ।
३॰ इस मंत्र का प्रतिदिन १०८ बार जप करने से चोर, बैरी व सारे उपद्रव नाश हो जाते हैं तथा अकाल मृत्यु नहीं होती तथा उपासक पूर्णायु को प्राप्त होता है ।
४॰ आग लगने पर इक्कीस बार पानी को अभिमंत्रित कर छींटने से आग शान्त होती है ।
५॰ मोर-पंख से इस मंत्र द्वारा झाड़े तो शारीरिक नाड़ी रोग व श्वेत कोढ़ दूर हो जाता है ।
६॰ कुंवारी कन्या के हाथ से कता सूत के सात तंतु लेकर इक्कीस बार अभिमंत्रित करके धूप देकर गले या हाथ में बाँधने पर ज्वर, एकान्तरा, तिजारी आदि चले जाते हैं ।
७॰ सात बार जल अभिमंत्रित कर पिलाने से पेट की पीड़ा शान्त होती है ।
८॰ पशुओं के रोग हो जाने पर मंत्र को कान में पढ़ने पर या अभिमंत्रित जल पिलाने से रोग दूर हो जाता है । यदि घंटी अभिमंत्रित कर पशु के गले में बाँध दी जाए, तो प्राणि उस घंटी की नाद सुनता है तथा निरोग रहता है ।
९॰ गर्भ पीड़ा के समय जल अभिमंत्रित कर गर्भवती को पिलावे, तो पीड़ा दूर होकर बच्चा आराम से होता है, मंत्र से १०८ बार मंत्रित करे ।
१०॰ सर्प का उपद्रव मकान आदि में हो, तो पानी को १०८ बार मंत्रित कर मकानादि में छिड़कने से भय दूर होता है । सर्प काटने पर जल को ३१ बार मंत्रित कर पिलावे तो विष दूर हो ।

तांत्रिक मायाजाल वापिस करने का मंत्र  
मंत्र  ------ एक ठो सरसों ,सौला राई | मोरो पटवल को रोजाई | खाय खाय पड़े भार | जे करै ते मरै उलट विद्या ताहि पर परे | शब्द साँचा ,पिंड काँचा | हनुमान का मंत्र साँचा | फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा | -- यदि किसी के ऊपर किसी ने तांत्रिक अभिचार कर दिया हो और बार बार करता हो तो थोड़ी सी राई ,सरसों और नमक मिलाकर रख ले |इसके बाद इस मंत्र का जप करते हुए सात बार रोगी को उतारा करे और फिर जलती हुई भट्ठी में यह सामग्री झटके से झोक दे तो सारा मायाजाल वापस चला जायेगा |.
तंत्र वाधा निवारण ---एक सरल प्रयोग

एक सरल प्रयोग यह प्रयोग किसी भी शत्रु दुयारा किए अभिचार जैसे अगर किसी शत्रु ने किसी पर तंत्र यंत्र मांत्रिक प्रयोग कर दिया है तो उस से निजात पाने के लिए यह एक अनुभूत प्रयोग है !तंत्र किसी भी व्यक्ति के जीवन को नष्ट भ्रष्ट कर देता है !और तरह तरह के अज्ञात वाधाए उस व्यक्ति के जीवन की दिशा ही बदल देते है !व्यक्ति इस से छुटकारा पाने के लिए कथित तांत्रिक लोगो के पास धके खाता है और आराम के नाम पे उसे ठगा जाता है !और वह अपना समय और पैसा दोनों गवा बैठता है !इस मंत्र को ग्रहण के दिन 108 वार जप कर सिद्ध कर ले माला कोई भी ले ले काले हकीक की बेहतर है और हो सके तो 5 माला कर ले नहीं तो 108 वार भी चल जाएगा !प्रयोग के वक़्त जब किसी के दुयारा किए प्रयोग को नष्ट करना हो तो एक शराब की प्याली और बतासे ले किसी चोराहे पे चले जाए जो निर्जन हो तो जायदा उचित है !बतासे और शराब की पियाली रख कर 21 वार मंत्र पढे और वहाँ से 7 कंकर उठा ले उन में से 4 कंकर चारो दिशायों में फेक दे और शेष तीन अपने पास ले आए जिस को वाधा हो एक एक कंकर पे 7 वार मंत्र पढ़ उसके शरीर से tuch करे मतलव छूया दे और इस प्रकार तीनों कंकर 7 -7 वार मंत्र पढ़ छूयाए और उन्हे दक्षिण दिशा की तरफ अपनी हद के बाहर फेक दे इस तरह उस पे किया गया प्रयोग का असर समापत हो जाएगा !

साबर मंत्र –ॐ उलटंत देव पलतंट काया उतर आवे बच्चा गुरु ने बुलाया बेग सत्यनाम आदेश गुरु का !!

तंत्र वाधा निवारण ---एक सरल प्रयोग

एक सरल प्रयोग यह प्रयोग किसी भी शत्रु दुयारा किए अभिचार जैसे अगर किसी शत्रु ने किसी पर तंत्र यंत्र मांत्रिक प्रयोग कर दिया है तो उस से निजात पाने के लिए यह एक अनुभूत प्रयोग है !तंत्र किसी भी व्यक्ति के जीवन को नष्ट भ्रष्ट कर देता है !और तरह तरह के अज्ञात वाधाए उस व्यक्ति के जीवन की दिशा ही बदल देते है !व्यक्ति इस से छुटकारा पाने के लिए कथित तांत्रिक लोगो के पास धके खाता है और आराम के नाम पे उसे ठगा जाता है !और वह अपना समय और पैसा दोनों गवा बैठता है !इस मंत्र को ग्रहण के दिन 108 वार जप कर सिद्ध कर ले माला कोई भी ले ले काले हकीक की बेहतर है और हो सके तो 5 माला कर ले नहीं तो 108 वार भी चल जाएगा !प्रयोग के वक़्त जब किसी के दुयारा किए प्रयोग को नष्ट करना हो तो एक शराब की प्याली और बतासे ले किसी चोराहे पे चले जाए जो निर्जन हो तो जायदा उचित है !बतासे और शराब की पियाली रख कर 21 वार मंत्र पढे और वहाँ से 7 कंकर उठा ले उन में से 4 कंकर चारो दिशायों में फेक दे और शेष तीन अपने पास ले आए जिस को वाधा हो एक एक कंकर पे 7 वार मंत्र पढ़ उसके शरीर से tuch करे मतलव छूया दे और इस प्रकार तीनों कंकर 7 -7 वार मंत्र पढ़ छूयाए और उन्हे दक्षिण दिशा की तरफ अपनी हद के बाहर फेक दे इस तरह उस पे किया गया प्रयोग का असर समापत हो जाएगा !

साबर मंत्र –ॐ उलटंत देव पलतंट काया उतर आवे बच्चा गुरु ने बुलाया बेग सत्यनाम आदेश गुरु का !!


सिद्धि प्राप्ति हेतु काली के
कुल्लुकादि मन्त्र
इष्ट सिद्धि हेतु इष्टदेवता के
'कुल्लुकादि मंत्रों' का जप अत्यन्त
आवश्यक हैं ।
अज्ञात्वा कुल्लुकामेतां जपते
योऽधमः प्रिये ।
पञ्चत्वमाशु लभते सिद्धिहानिश्च
जायते ।।
दश महाविद्याओं के कुल्लिकादि
अलग-अलग हैं । काली के कुल्लुकादि
इस प्रकार हैं -
कुल्लुका मंत्र -
क्रीं, हूं, स्त्रीं, ह्रीं, फट् यह
पञ्चाक्षरी मंत्र हैं । मूलमंत्र से षडङ्ग-
न्यास करके शिर में १२ बार कुल्लुका
मंत्र का जप करें ।
सेतुः-
" ॐ" इस मंत्र को १२ बार हृदय में जपें ।
महासेतुः-
"क्रीं" इस महासेतु मंत्र को कण्ठ-
स्थान में १२ बार जप करें ।
निर्वाण जपः-
मणिपूर-चक्र (नाभि) में - ॐ अं
पश्चात् मूलमंत्र के बाद ऐं अं आं इं ईं ऋं
ॠं लृं ॡं एं ऐं ओं औं अं अः कं खं गं घं ङ चं
छं जं झं ञं टं ठं डं ढं णं तं थं दं धं नं पं फं बं
भं मं यं रं लं वं शं षं सं हं ळं क्षं ॐ का जप
करें ।
पश्चात् "क्लीं" बीज को
स्वाधिष्ठान चक्र में १२ बार जप करें ।
इसके बाद "ॐ ऐं ह्रीं शऽरीं क्रीं रां
रीं रुं रैं रौं रं रः रमल वरयूं राकिनी
मां रक्ष रक्ष मम सर्वधातून् रक्ष रक्ष
सर्वसत्व वशंकरि देवि ! आगच्छागच्छ
इमां पूजां गृह्ण गृह्ण ऐं घोरे देवि !
ह्रीं सः परम घोरे घोर स्वरुपे एहि
एहि नमश्चामुण्डे डरलकसहै श्री
दक्षिण-कालिके देवि वरदे विद्ये !
इस मन्त्र का शिर में द्वादश बार जप
करें ।
इसके बाद 'महाकुण्डलिनी' का
ध्यान कर इष्टमंत्र का जप करना
चाहिए ।
मंत्र सिद्धि के लिये मंत्र के दश
संस्कार भी आवश्यक हैं ।
जननं जीवनं पश्चात् ताडनं बोधनं तथा
अथाभिषेको विमलीकरणाप्यायनं
पुनः ।
तर्पणं दीपनं गुप्तिर्दशैताः मंत्र
संस्क्रियाः ।।
लेकिन कर्ण द्वारा गुरु से प्राप्त
मन्त्र स्वम सिद्ध होते है..
बिना अभिसेक व् संस्कार व् भगवती
के रहस्य पूजन के मात्र पुस्तक से
साधना करने पर महाविद्या की
साधना पूर्ण फल नहीं देती अपितु गुरु
परम्परा से न जुड़ने से कभी कभी
हानि भी हो सकता है।

काली-शाबर-मन्त्र

"काली काली महा-काली, इन्द्र की बेटी, ब्रह्मा की साली। पीती भर भर रक्त प्याली, उड़ बैठी पीपल की डाली। दोनों हाथ बजाए ताली। जहाँ जाए वज्र की ताली, वहाँ ना आए दुश्मन हाली। दुहाई कामरो कामाख्या नैना योगिनी की, ईश्वर महादेव गोरा पार्वती की, दुहाई वीर मसान की।।"

विधिः- प्रतिदिन १०८ बार ४० दिन तक जप कर सिद्ध करे। प्रयोग के समय पढ़कर तीन बार जोर से ताली बजाए। जहाँ तक ताली की आवाज जायेगी, दुश्मन का कोई वार या भूत, प्रेत असर नहीं करेगा।




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