*" जब चारों और अँधेरा हो ," गुरु " का दीप जला लेना !*
*" जब गमों ने तुमको घेरा हो , तुम हाल "गुरु " को सुना देना !*
*" जब दुनिया तुमसे मुँह मोड़े , तुम अपने "गुरु " को मना लेना !*
*" जब अपने तुमको ठुकरा दें ,"गुरु" दर को तुम अपना लेना !*
*" जब कोई तुमको रुलाये तो , तुम "गुरु " के गीत गुनगुना लेना !*
*" गुरु" करुणा का सागर है , तुम उसमें डुबकी लगा लेना...!!!*
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