*मोरया शब्द का इतिहास*
"गणपति बप्पा मोरया" यह उदघोष बड़ा ही सर्वसुलभ एवं जन-प्रचलित है... परन्तु अधिकाँश लोगों को इसमें "मोरया" (विकृत होकर :- मोरिया, मोर्या) शब्द का अर्थ मालूम नहीं है... चूँकि सभी लोग उदघोष कर रहे हैं, इसलिए वे भी कर देते हैं...
#GanpatiBappaMorya #गणेशोत्सव
मोरया गोसावी नामक संत चौदहवीं शताब्दी के संत थे. वे भगवान गणेश के एकनिष्ठ एवं अनन्य भक्त थे. गोसावी का जन्म पुणे के पास मोरगांव में हुआ था. इन्होंने मोरगांव में ही तपस्या करके मोरेश्वर (अर्थात गणपति) की पूजा की थी.
मोरया गोसावी के पुत्र चिंतामणि को भी गणेश का अवतार माना जाता है. आगे जाकर मोरया गोसावी ने संजीवन समाधि ग्रहण की... चिंचवड में आज भी मोरया गोसावी की समाधि एवं उनके द्वारा स्थापित गणेश मंदिर, भक्तों का प्रमुख आकर्षण है. संत मोरया गोसावी, संत एकनाथ के समकालीन थे...
अष्टविनायक (महाराष्ट्र के प्रसिद्ध आठ गणेश मंदिर) यात्रा आरम्भ करने का श्रेय दिया जाता है...
ऐसे ही महान एवं परम गणेश भक्त की अदभुत भक्ति-समर्पण एवं तपस्या के कारण उनका नाम गणपति बप्पा से एकाकार होकर "गणपति बप्पा मोरया" कहलाने लगा... "मोरया मोरया... गणपति बप्पा मोरया"...
साभार-विजय नागरकर 🙏
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