Friday, March 1, 2019

उत्तम मंगल - "चित्त को विरज विमल रखना"

🌷 उत्तम मंगल - "चित्त को विरज विमल रखना"🌷

यानि चित्त पर विकारो का मैल नही चढ़ने देना।

जीवन में जब मनचाही सुखद स्थिति आये तो उससे आसक्त होकर उसके प्रति राग-रंजित नही हो जाए।

इसी प्रकार जब दुखद स्थिति आये तो उससे व्याकुल होकर चित्त को द्वेष दूषित नही होने दे।

ना राग का मैल जगे, ना द्वेष का मैल जगे।

इस प्रकार चित्त को विरज विमल रखें। और इस उत्तम मंगल का लाभ लेवें।

🍁 जीवन में आते रहे,
पतझड़ और बसंत।
मन में जगे न मैल तो,
मंगल जगे अनंत।।

जब जब मन में किसी भी विकार का मैल जागता है, तो गृहस्थ व्याकुल हो जाता है।अपने अमंगल को आमन्त्रण देने लगता है।

और मैल जगने नही देता तो मंगल ही मंगल, कल्याण ही कल्याण होने लगता है।

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