Sunday, February 10, 2019

सम्पूर्ण कामनाओ का त्याग*

*सम्पूर्ण कामनाओ का त्याग*
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*इस संसार मे केवल कामना करने से किसी वस्तु की प्राप्ति नही होती । वांछित प्राणी पदार्थ की प्राप्ति के लिए प्रारब्ध का संयोग होना अनिवार्य है । प्रारब्ध होगा तो वस्तु मिलेगी, अन्यथा लाख कामना करने एवं प्रयत्न करने पर भी वह वस्तु नही मिलेगी ।*

*यदि प्रारब्ध होगा तो कामना नही करने पर भी इष्ट वस्तु की प्राप्ति  हो ही जाएगी । [उस वस्तु की प्राप्ति के लिए जितने प्रयत्न की आवश्यकता होगी, वह प्रयत्न प्रारब्ध स्वयं करा लेगा ]*

*दुख के लिए कोई भी व्यक्ति कामना या प्रयत्न नही करता, फिर भी प्रारब्ध बस दुख आ ही जाता है । इसी प्रकार यदि प्रारब्ध होगा तो बिना कामना किये ही सुख भी अवश्य आयेगा ।*
*(कृपया ध्यान दे ) संसार मे प्राप्त परिस्थिति को भगवान का विधान समझ कर प्रसन्न रहना ही भक्त का स्वभाव होना चाहिए । जिस प्रकार मीराबाई जहर को भगवान का प्रसाद समझ कर पी गई, उसी प्रकार हमे सांसारिक दुख, अपमान, निन्दा, तिरस्कार आदि को भगवान का प्रसाद समझ कर पी जाना चाहिए ।*

*यदि हमे भगवान का विधान पसंद नही आयेगा, उनके विधान पर मन मैला करेंगे तो भगवान प्रसन्न कैसे होगे? भगवान की इच्छा मे अपनी इच्छा मिला देने से सम्पूर्ण कामनाओ का त्याग सहज ही हो जाता है । कामनाओ के त्याग से तत्काल शांति मिलती है ।*
✍ कल्याण पत्रिका क्रमश  (74)
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