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*<<<,धर्म में राजनिती>>>*
*ये समय ऐसा है कि धर्म मे राजनिती का दौर चल रहा है जब इस सम्पूर्ण भारत के लिए के विभाजन का षड़यन्त्र चल रहा है। धर्म, सम्प्रदाय, मत, पंथ, जाति, वर्ग, भाषा, रंग, लिंग, राष्ट्र, वेश, कुल, ऊँच नीच, छूत अछूत,आश्रम, आदि के नामपर इस एक मानव जाति को खंड खंड मे बाँट कर रख दिया तथा अपनी प्रभूता सिद्ध करने के लिए परस्पर संघर्ष भी आरंभ हो रहे है जिससे यह मानव जाति अधिक त्रस्त रहे।*
*इससे भी ऊपर धर्म के नाम पर आत्मा आत्मा मे भेद किया गया । अपने अलग अलग ईश्वर भी गढ़ लिये ईश्वर आत्मा में भेद बताकर सृष्टि व सृष्टा मे भेद बढाया जीव व शिव मे भेद किया जीव जीव मे भेद किया पुरूष व प्रकृति मे भेद कर दिया ईश्वर की अवधारणा से जिस सृष्टि मे एकत्व की संभावनी थी उसकी सत्ता को नकार दिया। जिससे मनुष्य स्वच्छन्द व स्वेच्छाचारी होकर अपनी मनमानी कर सके ऐसा जाल बिछाया तथा सृष्टि संचालन का दायित्व स्वम उठाकर अपना वर्चस्व स्थापित कर सके । इसी प्रकार की धारणा से यह दुनियां विकृत हुई।*
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