उल्लू और गिद्ध की लड़ाई को जब प्रभु श्रीराम ने सुलझाया।
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महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित पवित्र ग्रंथ रामायण के अनुसार एक बार भगवान श्रीराम अपने दरबार में विराजे थे। तब एक उल्लू और गिद्ध उनके चरणों में उपस्थित हुए और बार-बार उनके चरणों को बारी-बारी से छूने लगे।
प्रभु यह सब देखकर हैरान थे। उन्होंने गिद्ध से पूछा, 'आप दोनों बार-बार चरण स्पर्श क्यों सब क्यों कर रहे हैं?' तब गिद्ध ने कहा, 'प्रभु इस उल्लू ने मेरा घर मुझसे छीन लिया है। इसलिए प्रभु आप मेरी रक्षा करें और मुझे न्याय दें।'
गिद्ध की बात खत्म होते ही उल्लू ने कहा, 'हे भगवन् वो घर मेरा है ये गिद्ध हर दिन उमसे आकर मुझे बाधा पहुंचाता था।'
तब भगवान श्रीराम ने गिद्ध से पूछा, 'तुम उस मकान में कितने वर्षों से रह रहे हो? गिद्ध ने उत्तर दिया, 'जब से यह पृथ्वी मनुष्यों से घिरी हुई लगती है, तभी से वह मेरा घर है।'
इस पर भगवान श्रीराम ने सभी सभासदों से कहा, 'आप का क्या निर्णय है कौन सत्य बोल रहा है?' वैसे वाणी के विकारों से गिद्ध की बातें ठीक नहीं लगतीं। उल्लू ठीक कह रहा है। यह हम सभी का मत है आप अपना निर्णय दें महाराज।'
तब प्रभु श्रीराम ने कहा, 'पुराणों में कहा गया है कि पहले यह सारी पृथ्वी जलमय थी। और महाविष्णु के ह्दय में विलीन हो गई। विष्णु अनंत वर्षो तक निंद्रामग्न रहे। उनके उठने पर उनकी नाभि से पद्म उत्पन्न हुआ।
जिससे ब्रह्माजी प्रकट हुए। उनके कान के अंदर से मधु-कैटभ दैत्य उत्पन्न हुए। जब इन राक्षसों का संहार मां महाकाली ने किया तो मेद उत्पन्न हुआ जिससे पृथ्वी की उत्पत्ति हुई।'
भगवान विष्णु ने पृथ्वी को शुद्ध किया और ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की। उल्लू का जन्म समुद्र मंथन के दौरान हुआ। यानी उल्लू इस पृथ्वी में गिद्ध से पहले आया तो ऐसे में गिद्ध को मृत्युदंड दिया जाना चाहिए ?
तभी अचानक आकाशवाणी हुई कि इस गिद्ध का वध मत कीजिए। यह कालगौतम के तपोबल से पहले ही दंड पा चुका है। पूर्वजन्म में यह ब्रह्मदत्त नाम का राजा था। एक बार कालगौतम नामक महात्मा इसके घर भोजन के लिए आए। तब ब्रह्मदत्त ने भोजन में मांस भी रख दिया।
महात्माजी क्रोधित हो गए और उन्होंने शाप दिया। अब से तुम गिद्ध बन जाओगे और मांस ही तुम्हारा भोजन होगा। लेकिन जब अयोध्या नरेश श्रीराम उन्हें अपने हाथों से स्पर्श करेंगे। तो तुम्हें दिव्य रूप की प्राप्ति होगी।
आकाशवाणी सुनकर जैसे ही श्रीरान ने गिद्ध को स्पर्श किया वो दिव्य रूप में परिवर्तित हो गया। और दिव्यलोक की ओर चला गया। इस तरह उल्लू को उसका घर और गिद्ध को उसका न्याय मिल गया।
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